मेरे बढ़ते कदम...। मेरे बढ़ते कदम...।
मैंने क्यों लिया जन्म जब ना खेल सकूँ अपनी माँ की आँचल में, मैंने क्यों लिया जन्म जब ना खेल सकूँ अपनी माँ की आँचल में,
ये छोरी ऐसी धाकड़ है अब छोरों को पीछे छोड़े है... ये छोरी ऐसी धाकड़ है अब छोरों को पीछे छोड़े है...
किस्मत अच्छी तो वरदान हूं, वरना श्राप ही कहलाती हूँ। किस्मत अच्छी तो वरदान हूं, वरना श्राप ही कहलाती हूँ।
आरव को बचपन से ही पेड़ पौधों का बहुत शौक था। आरव को बचपन से ही पेड़ पौधों का बहुत शौक था।
कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर में ही। कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर...